खुली नजर से देखो (हिंदी)
खुली नजर से देखो, मित्रों, खोलो मन के द्वार ! जो है जैसा वैसा क्यूँ है, इस पर करो विचार ! आस पास की दुनिया किन नियमों पर चलती है? किस के कहने पर ये पृथ्वी घूमती रहती है? रहस्यमय, अद्भुत, भयकारी जो लगता है आज हर डर टूटे, विभ्रम छूटे; खुले जब उस का राज़ सोच-बूझ से सब प्रश्नों के उत्तर हो साकार जो है जैसा वैसा क्यूँ है, इस पर करो विचार ! ।। १ ।। बहता पानी कैसे उड़कर बादल बन जाए? छोटे बीजों में से कैसे फसले लहराए? चारा खा कर गोबर बनता, गोबर का फिर खाद जब मिट्टी में खाद मिले तो बढे फसल का स्वाद ऐसे ही जीवन का पहिया घूमे चक्राकार जो है जैसा वैसा क्यूँ है, इस पर करो विचार ! ।। २ ।। सूक्ष्मजीव हो या सागर की महाकाय सी व्हेल परमाणू हो, ब्लैक होल हो, या किरणों का खेल जिज्ञासा की डोर बाँध कर जब हम कूद पड़े, प्रज्ञा के ये पंख खोल के सच की ओर बढे इस दृष्टि से देखोगे तो लगे अलग संसार जो है जैसा वैसा क्यूँ है, इस पर करो विचार ! ।। ३॥
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