नयी बहारें आई है (हिंदी)

नयी बहारें आई है
नयी दिशा नया गगन
नयी उमंग लेके अब
विकास की नयी लगन ॥ध्रु.॥

व्यक्ती व्यक्ती हर यहाँ
समर्थ हो, सुशील हो
अतुल धैर्यवान और
अमिट किर्तिमान हो ॥१॥

जो संकटों के परबतों से
निपटकर अचल रहे
जो स्वयं के स्वार्थ को भी
दुःखितों पे हार दे ॥२॥

प्रेम हो, मृदुत्व हो,
आर्त बंधुभाव हो,
हृदय में हरेक के
मातृभू की मूर्त हो ॥३ ॥


शुचित्व का, प्रभुत्व का
यहां अपूर्व मेल हो
सबकी शक्ती एक हो तो
सार्थ राष्ट्रहस्त हो ॥४ ॥