विश्वास है हमारा ऐलान सबको कर दे
सूरज है कल के हम सब
अंधियारा दूर कर दे ॥ध्रु.॥
अन्याय भ्रष्टता को ना देंगे हम सहारा
जो है यतीम उनको हो दर खुला हमारा
आओ, समझ सकें हम, ऋषियों ने जो सिखाया
जो भी है दीन दुखिया – भगवान वो हमारा ॥१॥
बिखराही देंगे उनको बादल जो जल न ढोएँ
अविरत जो श्रम करे उन् हाथों को हम सँवारे
किस जात – धर्म की यह बाते है खोखली सी
भाई सभी है अपने सबको गले लगाएँ ॥२॥
अटूट प्रण हमारा ताकद मिटा न पाएँ
इतना नही है सस्ता धन से खरीदा जाए
जो वज्र भी न भेदे ऐसे जिगर हमारे
हम जुँझले समय से बल ऐसा प्राप्त कर ले॥३॥
विज्ञान-ज्ञान दोनों हमको है खूब भाँते
हमे याद नित्य हो यह दुनिया को जब भी बदले
ऐसा चरित्र जिसपर अभिमान हमको नित हो
हम मातृभूमी की महिमा नित शुद्ध स्वर में कर ले ॥४॥