अब न रहेगा पीछे कोई, रण का आमंत्रण आया
युगोयुगों से आज, अभी यह अवसर आया रे आया ॥ ध्रु. ॥
आज अमावस की यामिनी को पूनम का-सा चाँद मिला
आज हमारे नयनों को सौ सपनों का संसार खुला
आज हमारे अरमानों की झंझा ने सूरज चूमा
बाँहों में अब अचल पंख का उभरा उमडा ज्वार नया ॥१॥
गूँज उठा है आसमान अब नवयौवन के नारों से
शुरू हुअी है संकल्पों की मुलाकात अब तारों से
चपल पगों की आहट पाकर भाग रहा है अँधियारा
सजल दृगों की किरणें पीकर हँसती पतझर की माया ॥२॥
इंद्रचाप है सज्जित कर में भूमंडल अब डोलेगा
सुनकर ध्वनि भगवान् स्वयं भंडार स्वर्ग का खोलेगा
देख हमारे तप को माँ पर तुष्टिवृष्टि बरसाएगा
इसीलिए हम मतवालों ने मस्त तराना छेड दिया ॥३॥