माधव माली एक सयाना- अभंग क्रमांक ८
माधव माली एक सयाना । अंतरिगत रहै लुकाना ॥ धृ ॥आपै बाडी आपै माली । कली कली कर जोडै ।पाके काचे काचे पाके । मनिमानै ते तोडै ॥ १ ॥आपै पवन आपै पाणी । आपै बरिषै मेहा ।आपै पुरिष नारि पुनि आपै । आपै नेह सनेहा ॥ २ ॥आपै चंद सूर पुनि आपै । आपै […]
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