हो रही है आरती (हिंदी)

मातृमंदिर में चलो प्रिय हो रही है आरती॥ध्रु.॥

शंखध्वनि उठने लगी है दीप की लौ भी जगी है
आज करुणा लिये वीणा स्वयं ही झंकारती॥१॥

मूर्ति माँ की शांत है वरदायिनी स्मितशालिनी
अन्नपूर्णा और लक्ष्मी ज्ञानदा यह भारती॥२॥

मूर्ति में उसके परे भी निखिल-जीवन-व्यापिनी
देशजननी रूप में ही विश्वजननी दिखती॥३॥

मंदिरांगण भक्त आये धर्मरक्षक वीर आये
प्राणधुन गंभीर उनकी गर्भगृह में गूँजती॥४॥

तत्त्वदश है ऋषिवर राष्ट्रद्रष्टा संत भी है,
भक्तजन के जलधि की लहरें हमें ललकारती॥५॥