- by Prashantआ. कै. उषाताईंबद्दल लेखन : स्मरणिकेसाठी माझा आणि उषाताईंचा पहिला संबंध २००१ मध्ये एका मुलाखतीच्या निमित्ताने आला. प्रबोधिनीतील कामाचे दुसरे-तिसरे वर्ष असेल, थोडे जास्तीचे मानधन मिळण्यासाठी प्रज्ञा मानसमध्ये एका प्रकल्पात मी काम करावे अशा कल्पनेतून पोंक्षेसरांनी मला ती मुलाखत द्यायला सांगितली होती. गिरीशराव, उषाताई आणि एक-दोन तज्ज्ञ असे पॅनल होते. मुलाखतीनंतर काही दिवसांनी मला उषाताईंना […]
- by PrashantMaterial for Group Discussion Session Manthan: Let’s Reflect on the Essence of Education: 1 Thoughts of Maharshi Swami Dayanand Saraswati CHAPTER 2: Treats of the up-bringing of children"Mātṛmān Pitṛmān Ācāryavān Puruṣo Veda" – Śatapatha Brāhmaṇa. 1. "Verily, that man alone can become a great scholar who has had the advantage of three good teachers, viz., […]
- by Prashantस्वाध्याय-प्रवचन : तप, दम , शम मुझे कई बार भोसला मिलिटरी स्कूल, नाशिक जाने का अवसर मिला है। हर विद्यालय का अपना एक बोधवाक्य होता है, और इस विद्यालय का बोधवाक्य है, 'शापादपि शरादपि'। सैनिक विद्यालय के संदर्भ में 'शर' यानी बाण का अर्थ तो तुरंत समझ में आ गया, लेकिन 'शाप' का अर्थ समझने […]
- by Prashant DivekarDiscovering the Wild: Lessons from a Zoo Vacations are the perfect time to explore and learn. Teachers often assign exciting activities to help students discover new things. One science teacher gave students an interesting task: visiting a zoo or zoological museum. Here’s an example of how to prepare for and make the most of […]
- by Prashantसत्यं च स्वाध्यायप्रवचने च। प्रकृति के सानिध्य में रहकर उसके साथ एकत्व का अनुभव करना, स्वाध्याय का प्रथम सूत्र है, जो हमें ब्रह्मांड के निर्माण और उसके रहस्यों को जानने की प्रेरणा देता है। जड़-चेतन धारणाओं से जुड़ी मूलकण, वंशसूत्र, गुणसूत्र जैसी सूक्ष्मतम चीज़ों के अध्ययन से लेकर ब्रह्मांड के विस्तार के अध्ययन तक का […]